- आलिंगन
इन्हीं में से कुछ लोग, मंदिर की तरफ सीधे ये कहते हुए भागने लगे , "चलो..चलो, आयाची संत के पास, वह त्रिकालदर्शी हैं , हमें जरूर बताएगें, क्या.... सच में इस वैज्ञानिक युग में भी प्रलय हो सकता है ?
संयोगवश उन सभी को संत का दर्शन हो गया। सभी एक साथ चिल्लाए, "बाबा बताइए .. एकाएक ऐसा क्या हो गया...सभी पेड़ एकसाथ क्यूँ खामोश हैं ? हवा नहीं सिसकती ... दिन , क्यूँ ठहर सा गया है ? बचाइये बाबा ...हमलोग बहुत घबरा रहे हैं। हमारे बच्चे घर में विलाप कर रहे हैं।"
संत, शांत भाव से मुस्कुराकर बोले, " चिंता की बात नहीं है | कहीं दू......र , दो अतृप्त , आत्माओं का..आज मिलन हो रहा है ।"
संत के मुँह से इतना निकलते ही गर्जन के साथ तेज़ झमाझम बारिश होने लगी । आकाश और धरती एक रंग में सराबोर हो गया | मर्यादा की सीमाओं को लांघकर , दोनों एक-दुसरे को आलिंगन करने में निर्लिप्त हो गये । दोनों के बीच... फासला का नामो-निशान नहीं रहा । अचानक तेज हवा बहने लगी। झूम-झूमकर डालियाँ एक-दूसरे को स्पर्श करने लगी ,दिक् दिगंत मधुमातल हो गया । मानो वर्षों से प्यासी धरती .... बारिश की शीतल स्पर्श से आज तृप्त हो रही हो ।
इस अद्भुत मिलन को देखकर, सूरज भी इतना लजा गया कि, श्यामली चादर ओढकर, घंटों निश्चिंत... दुबककर सोता रहा । वज्ञानिक युग ...बौना बन सब देखता रहा |
वहां खड़े सभी लोग एकसाथ ....इस नज़ारे को देखकर मन ही मन प्रकृति की इबादत करने लगे |
मिन्नी मिश्रा/पटना
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