समीक्षा ---
*सुर्ख़ लाल रंग*
लेखक - विनय कुमार
मूल्य - 499/-(सजिल्द)
अगोरा प्रकाशन
पृष्ठ संख्या -120
सबसे पहले पुस्तक उपहार स्वरूप भेजने के लिए आ. विनय सर का हृदय तल से आभार।🙏
' सुर्ख लाल रंग'...अपने नाम के अनुरूप इसका आवरण पृष्ठ रक्ताभ लिए अनेक भावों को समेटे हुये बहुत ही आकर्षक है।यह पुस्तक चौदह कहानियों का अनुपम संग्रह है।इसकी प्रिंटिंग क्वालिटी बहुत अच्छी है। इन कहानियों की जो बात मुझे बेहद अच्छी लगी वह है- लेखक ने सभी कहानियों के प्रसंगों का बड़ी सहजता से चित्रण किया है। यथार्थ को सहजता से लिख देना आसान नहीं होता है, वाकई यह लेखक की विशेषता कही जा सकती है ।
सभी कहानियाँ ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुईं हैं ।इन कहानियों के कथानक तथा शीर्षक दोनों उत्कृष्ट हैं । इन कहानियों से मिट्टी की सौंधी खुशबू आती है । 'सुर्ख लाल रंग' पुस्तक की सबसे पहली, मर्मस्पर्शी कहानी है । यह एक ऐसे गाँव की कहानी है जहाँ सांप्रदायिक भेद-भाव नहीं था, हिन्दू- मुस्लिम सगे भाई की तरह मिलकर एक साथ रहते थे, ईद, दीपावली मनाते थे। लेकिन, किसी कारणवश सांप्रदायिक दंगे भड़क जाने से वहाँ का माहौल बिगड़ गया ,लोग गाँव से पलायन करने लगे | कहानी का अंत बेहद मार्मिक है, पड़ोसी पर विश्वास करने के कारण रज़्ज्ब दंगे का शिकार हो गया ! ’असली परिवर्तन' एक आदिवासी गाँव की कहानी है , जहाँ एक जुझारू,ईमानदार बैंक पदाधिकारी ने दिखला दिया कि मेहनत और लगन के बल पर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में भी विकास संभव है | 'आत्मनिर्भरता' इस कहानी को पढ़कर ऐसा लगा कि यह मेरे खुद के घर की कहानी है।क्योंकि मेरे पिताजी भी ऐसे ही स्वाभिमानी स्वभाव के व्यक्ति थे , वह सेवानिवृत्त होने के बाद भी आत्मनिर्भर रहना पसंद करते थे । 'इंतजार' एक कुरूप, हिम्मती लड़की की दिल दहलाने वाली मर्मस्पर्शी कथा है ।'उदास चाँदनी' प्रेम की उम्दा कहानी है , कहानी पढ़ती गई.... और डूबती गई...बीच में उतार-चढ़ाव बहुत आए ,लेकिन अंत तक रोचकता बनी रही । ‘चन्नर' बेहद हृदयस्पर्शी कहानी है । इस कहानी के बीच में लेखक ने सही लिखा है , "कमोबेश दुनिया के हर समाज में ऐसे लोग हाशिये पर ही रह रहे हैं ,जिन्हें न तो वर्तमान में जगह मिलती है और न ही भविष्य में । 'जीत का जश्न' गाँव के चुनावी माहौल में कोरोना महामारी ने किस तरह पाँव पसारा ,जिससे बेचू के अलावे अनेक लोगों को जान गवानी पड़ी ...इसका अद्भुत,सटीक वर्णन इस कहानी में पढ़ने को मिला । 'जुनैद' कश्मीरी विद्यार्थी की संघर्ष भरी दास्तान है। ’फिर चाँद ने निकालना छोड़ दिया ' यह मन को द्रवित करने वाली अनूठी कहानी है । 'मुर्दा परम्पराएँ ' इस कहानी को पढ़ने के बाद मृत्यू और दाहसंस्कार के सारे दृश्य मेरे आँखों का सामने साकार हो गए ! समाज में यह कैसी विडम्बना है कि दयनीय स्थिति होने के बावजूद परिवार वालों के चलते जोखू को सारे कर्मकांड' विधिवत करने पड़े !
‘यह बस होना था'... बहुत ही मार्मिक कहानी है । जहाँ सचिन की मौत होने से रूह काँप गए ,वहीं राजीव और वैभव की दोस्ती देखकर मुझे गर्व महसूस हुआ ।
इन सभी कहानियों को पढ़ने के बाद अंत में मैं यह कहना चाहूँगी कि इनमें लेखक के कोमल हृदय की पीड़ा और छटपटाहट को आप अच्छी तरह महसूस कर सकते हैं । सभी कहानियाँ मध्यम एवं निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से हैं , जो लेखक की अतिसंवेदनशीलता को बखूबी दर्शाते हैं |
इस सुंदर कृति के लिए विनय कुमार सर को बहुत-बहुत बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की असीम शुभकामनायें ।💐💐💐
मिन्नी मिश्रा ,पटना
दिनांक--11.1.2023
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